त्रियोग का संयोग और सफलता का दिवस
हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का विशेष महत्व है। यह व्रत संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। 2025 में अहोई अष्टमी पर त्रियोग का अद्भुत संयोग बन रहा है, जो इस दिन को और भी पवित्र एवं फलदायी बना देगा। इस लेख में जानिए इस पावन पर्व की सम्पूर्ण जानकारी, पूजा विधि और महत्व।
अहोई अष्टमी 2025: तिथि और मुहूर्त
अहोई अष्टमी 2025 10 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन त्रियोग (रवि, गुरु और शुक्र का संयोग) बन रहा है, जो शुभ फलदायी माना जाता है।
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 09 अक्टूबर 2025 को रात 09:15 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर 2025 को रात 11:40 बजे
- पूजा का शुभ मुहूर्त: सायं 05:30 बजे से 06:45 बजे तक
- तारे दिखने का समय: शाम 06:15 बजे के बाद
त्रियोग का महत्व
त्रियोग का अर्थ है तीन शुभ ग्रहों का एक साथ योग। 2025 में अहोई अष्टमी पर रवि (सूर्य), गुरु (बृहस्पति) और शुक्र एक विशेष संयोग बना रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह संयोग:
- संतान सुख में वृद्धि करता है
- धन-धान्य की प्राप्ति होती है
- पारिवारिक सुख-शांति बढ़ाता है
- हर कार्य में सफलता मिलती है
अहोई अष्टमी का पौराणिक महत्व
पुराणों के अनुसार, अहोई माता सात पुत्रों की रक्षिका हैं। एक कथा के अनुसार एक साहूकार की पत्नी ने गलती से अहोई माता के बच्चे को मार दिया था। पश्चाताप करने पर माता ने उसे वरदान दिया कि जो भी सच्चे मन से इस व्रत को करेगा, उसके संतान को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।
कथा का सार
- संतान की रक्षा का व्रत
- मातृत्व और त्याग का प्रतीक
- सच्ची भक्ति का फल
अहोई अष्टमी व्रत विधि
इस व्रत को करने की विधि बहुत ही सरल है, परंतु श्रद्धा और विश्वास के साथ करना आवश्यक है।
सुबह की तैयारी
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें
- साफ वस्त्र धारण करें
- व्रत का संकल्प लें
दिनभर का व्रत
- निराहार रहें या फलाहार करें
- अहोई माता की कथा सुनें/सुनाएं
- नकारात्मक विचारों से दूर रहें
शाम की पूजा विधि
- साफ स्थान पर लाल कपड़ा बिछाएं
- अहोई माता का चित्र या मूर्ति स्थापित करें
- सिंदूर, चावल, फूल चढ़ाएं
- दीपक जलाएं
- इस मंत्र का जाप करें: “ॐ अहोई मातायै नमः”
- कथा सुनने के बाद आरती करें
2025 में विशेष: त्रियोग के लिए विशेष उपाय
इस बार त्रियोग के संयोग में कुछ विशेष उपाय करने से अधिक लाभ मिलेगा:
- लाल रंग के वस्त्र: पूजा के समय लाल रंग धारण करें
- गुड़ और चने का दान: किसी ब्राह्मण या गरीब को दें
- सात प्रकार के अनाज: मंदिर में अर्पित करें
- संतान के नाम का दीपक: घर के मंदिर में जलाएं
मंत्र जाप
इस विशेष योग में इस मंत्र का जाप करें:
“ॐ श्री गुरु शुक्र रवि योगाय नमः॥”
इस मंत्र के 108 जाप से त्रियोग का पूर्ण लाभ मिलता है।
अहोई अष्टमी का आधुनिक महत्व
आज के समय में भी यह व्रत उतना ही प्रासंगिक है:
- माता-पिता और संतान के बीच प्रेम बढ़ाता है
- पारिवारिक एकता का संदेश देता है
- धैर्य और विश्वास की शिक्षा देता है
- सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देता है
निष्कर्ष
अहोई अष्टमी 2025 का त्रियोग संयोग एक दुर्लभ और शुभ अवसर है। यह दिन संतान की रक्षा, पारिवारिक सुख और हर कार्य में सफलता प्रदान करने वाला है। सही विधि से व्रत करने और माता की कथा सुनने से अवश्य ही मनोकामना पूर्ण होती है। आइए, हम सभी इस पावन अवसर पर अहोई माता की कृपा प्राप्त करें।
अहोई माता की जय! संतानों की रक्षा करो माता!
