Chhath Puja 2025: छठ पूजा के तीन दिनों के बारे में सबकुछ

छठ पूजा का महत्व और इतिहास

छठ पूजा भारत के सबसे पवित्र और प्राचीन त्योहारों में से एक है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस पूजा का संबंध सूर्य देव और छठी मैया से है, जिन्हें संतानों की रक्षा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

छठ पूजा का ऐतिहासिक महत्व:

  • महाभारत काल में द्रौपदी और पांडवों द्वारा छठ व्रत का पालन किया गया था।
  • रामायण में भगवान राम और सीता ने अयोध्या लौटने पर सूर्य देव की आराधना की थी।
  • वैदिक काल से ही सूर्योपासना का विशेष स्थान रहा है।

छठ पूजा 2025 की तिथि और मुहूर्त

2025 में छठ पूजा 31 अक्टूबर से 3 नवंबर तक मनाई जाएगी।

छठ पूजा के चार दिनों का विवरण:

  • नहाय-खाय (31 अक्टूबर 2025): इस दिन व्रती स्नान करके शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं।
  • खरना (1 नवंबर 2025): इस दिन व्रती दिनभर उपवास रखकर शाम को गुड़ की खीर का प्रसाद बनाते हैं।
  • संध्या अर्घ्य (2 नवंबर 2025): इस दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
  • उषा अर्घ्य (3 नवंबर 2025): अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है।

छठ पूजा की विधि और आवश्यक सामग्री

छठ पूजा का विधि-विधान अत्यंत कठिन और शुद्धता पर आधारित है।

पूजा सामग्री:

  • बांस की टोकरी (दउरा)
  • गन्ना, नारियल, केला और अन्य फल
  • हल्दी, चावल, सिंदूर
  • गाय के दूध से बना घी और मिठाई

पूजा विधि:

  • प्रथम दिन गंगाजल से घर की शुद्धि की जाती है।
  • खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी बनाकर प्रसाद चढ़ाया जाता है।
  • अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का उच्चारण किया जाता है:

    “ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजो राशे जगत्पते।
    अनुकंपये मां भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:॥”

छठ पूजा की कथा और पौराणिक महत्व

छठ पूजा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। सबसे प्रसिद्ध कथा राजा प्रियंवद और रानी मालिनी से जुड़ी है। संतानहीन होने के कारण महर्षि कश्यप ने उन्हें पुत्रेष्टि यज्ञ करने को कहा। यज्ञ से उत्पन्न हुए पुत्र की मृत्यु हो गई तो राजा-रानी ने आत्महत्या का विचार किया। तभी देवी षष्ठी प्रकट हुईं और उन्हें छठ व्रत का विधान बताया। इस व्रत के प्रभाव से उनका पुत्र जीवित हो गया।

छठ पूजा के नियम और सावधानियां

  • व्रत के दौरान प्याज, लहसुन और मसूर की दाल का सेवन वर्जित है।
  • व्रती को जमीन पर सूती वस्त्र बिछाकर सोना चाहिए।
  • पूजा स्थल की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
  • अर्घ्य देते समय सूर्य देव की ओर पीठ न करें।

छठ पूजा के विशेष प्रसाद

छठ पूजा का प्रसाद बिना नमक और मसाले के बनाया जाता है।

  • ठेकुआ: गेहूं के आटे और गुड़ से बनी यह मिठाई छठ का प्रमुख प्रसाद है।
  • खीर: चावल और गुड़ से बनाई जाती है।
  • फल: केला, नारियल, गन्ना और मौसमी फल चढ़ाए जाते हैं।

छठ पूजा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

छठ पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। इस पर्व में जाति, धर्म या वर्ग का कोई भेद नहीं रहता। नदी किनारे सभी व्रती एक साथ पूजा करते हैं और प्रसाद बांटते हैं। यह पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है क्योंकि पूजा के बाद सभी सामग्री प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाती है।

आधुनिक समय में छठ पूजा

आज छठ पूजा का स्वरूप विस्तृत हुआ है। महानगरों में भी लोग तालाब या स्विमिंग पूल के किनारे छठ मनाते हैं। कई स्थानों पर सामूहिक छठ घाट बनाए गए हैं जहां सुरक्षा और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाता है। सोशल मीडिया ने इस पवित्र पर्व को वैश्विक पहचान दिलाई है।

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