Dattatreya Jayanti 2025: भगवान दत्तात्रेय का जन्म और महत्व

भगवान दत्तात्रेय की जन्मकथा और महत्व

हिंदू धर्म में दत्तात्रेय जयंती का विशेष महत्व है। यह पर्व त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अवतार भगवान दत्तात्रेय के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। 2025 में यह पर्व 18 दिसंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं कौन हैं भगवान दत्तात्रेय और कैसे हुआ उनका जन्म।

भगवान दत्तात्रेय कौन हैं?

दत्तात्रेय भगवान विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं जिनमें त्रिदेवों की शक्तियाँ समाहित हैं। इन्हें गुरुओं के गुरु और योगियों के आदिदेव के रूप में पूजा जाता है। इनकी प्रतिमा में तीन मुख, छह हाथ और चार कुत्ते दिखाए जाते हैं जिनका गहरा आध्यात्मिक अर्थ है।

  • त्रिमुख: ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक
  • छह हाथ: शंख, चक्र, त्रिशूल, डमरू, कमंडल और जपमाला धारण
  • चार कुत्ते: चार वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद)

भगवान दत्तात्रेय की जन्मकथा

अनुसूया और अत्रि ऋषि की तपस्या

पौराणिक कथाओं के अनुसार, दत्तात्रेय का जन्म अनुसूया (त्रिदेवों की परम भक्त) और ऋषि अत्रि के पुत्र के रूप में हुआ। एक बार त्रिदेवों ने अनुसूया की पतिव्रता धर्म की परीक्षा लेने का निश्चय किया।

त्रिदेवों की परीक्षा

ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने बालक का रूप धारण कर अनुसूया से भिक्षा माँगी, पर शर्त रखी कि वह निर्वस्त्र होकर ही भिक्षा दे। अनुसूया ने अपने पतिव्रत धर्म के बल पर त्रिदेवों को शिशु रूप में परिवर्तित कर दिया और उन्हें दुग्धपान कराया। प्रसन्न होकर त्रिदेवों ने उन्हें वरदान दिया कि वे उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे।

दत्तात्रेय का अवतरण

इसी वरदान के फलस्वरूप त्रिदेवों के अंश से मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन दत्तात्रेय का जन्म हुआ। इनका नाम तीन देवों के नामों से बना है:

  • दत्त (विष्णु द्वारा दिया गया)
  • आत्रेय (अत्रि ऋषि के पुत्र)

दत्तात्रेय जयंती का महत्व

इस दिन भक्त व्रत रखकर दत्तात्रेय की पूजा-आराधना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई प्रार्थना से सभी कष्टों का निवारण होता है और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि

  • प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  • दत्तात्रेय की मूर्ति/चित्र पर फूल, अक्षत, धूप-दीप अर्पित करें
  • इस मंत्र का जाप करें: “ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः”
  • गरीबों को भोजन एवं दान दें

दत्तात्रेय की शिक्षाएँ

भगवान दत्तात्रेय को 24 गुरुओं से ज्ञान प्राप्त हुआ था, जिनमें पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश जैसे तत्व भी शामिल थे। उनकी प्रमुख शिक्षाएँ हैं:

  • सर्वत्र दिव्य दृष्टि: प्रकृति के हर तत्व में ईश्वर का दर्शन
  • वैराग्य: भौतिक सुखों से मुक्ति
  • आत्मज्ञान: स्वयं को पहचानने का मार्ग

दत्तात्रेय और उनके भक्त

दत्तात्रेय ने कई भक्तों को दिव्य ज्ञान दिया, जिनमें प्रमुख हैं:

  • परशुराम: जिन्हें अमरत्व का रहस्य बताया
  • कार्तवीर्य अर्जुन: जिन्हें युद्ध कौशल सिखाया
  • अलर्क और प्रह्लाद: जिन्हें भक्ति मार्ग का ज्ञान दिया

निष्कर्ष

दत्तात्रेय जयंती हमें त्रिदेवों के संयुक्त तेज और आत्मज्ञान के मार्ग की याद दिलाती है। 2025 में इस पावन पर्व पर भगवान दत्तात्रेय की कृपा पाने के लिए सच्चे हृदय से उनका स्मरण करें। याद रखें, जैसे उन्होंने प्रकृति के हर तत्व से ज्ञान प्राप्त किया, वैसे ही हमें भी जीवन के हर पल को सीख का अवसर मानना चाहिए।

ॐ श्री गुरु दत्तात्रेयाय नमः

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