पितृ पक्ष का महत्वपूर्ण समापन
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह वह समय होता है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं, उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध व दान करते हैं। सर्वपितृ अमावस्या इसी पितृ पक्ष का समापन दिवस है, जिस दिन सभी पितरों को विदाई दी जाती है। इस दिन का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह उन सभी पितरों के लिए होता है जिनकी तिथि याद नहीं होती या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश छूट गया हो।
सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया गया श्राद्ध, तर्पण और दान सभी पितरों तक पहुँचता है। इस दिन पितरों की आत्मा हमारे घरों में आती है और हमारे द्वारा किए गए कर्मों से तृप्त होकर हमें आशीर्वाद देती है।
- इस दिन पितरों की विदाई की जाती है, इसलिए इसे “पितरों की विदाई” भी कहते हैं।
- यह दिन उन पितरों के लिए विशेष माना जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है।
- इस दिन गंगा स्नान, तर्पण और ब्राह्मण भोज का विशेष महत्व है।
पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत काल में जब कर्ण की मृत्यु हुई, तो उनकी आत्मा को स्वर्ग में सोने-चांदी के आभूषण दिए गए, लेकिन भोजन के रूप में कुछ नहीं मिला। जब कर्ण ने इसका कारण पूछा, तो देवताओं ने बताया कि उन्होंने जीवन भर सोना-चांदी दान किया, लेकिन अपने पितरों को भोजन नहीं दिया। तब कर्ण को पृथ्वी पर वापस भेजा गया और उन्होंने 15 दिनों तक अपने पितरों का श्राद्ध किया। इसी से पितृ पक्ष की शुरुआत हुई और सर्वपितृ अमावस्या को इसका समापन माना जाता है।
सर्वपितृ अमावस्या की विधि
इस दिन श्राद्ध करने की विशेष विधि होती है, जिसका पालन करना चाहिए:
सुबह का संकल्प
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
- संकल्प लेते हुए कहें: “मैं अपने सभी पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और दान करने का संकल्प लेता/लेती हूँ।”
तर्पण की विधि
- कुशा के आसन पर बैठकर काले तिल, जल और दूध से तर्पण करें।
- निम्न मंत्र का उच्चारण करें: “ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यः स्वधा नमः।”
- अपने पितरों का नाम लेकर उन्हें जल अर्पित करें।
ब्राह्मण भोज
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
- भोजन में खीर, पूड़ी, दाल, चावल और सब्जी अवश्य शामिल करें।
- भोजन के बाद ब्राह्मणों से पितरों की शांति के लिए आशीर्वाद लें।
दान का महत्व
इस दिन दान करने का विशेष महत्व है। आप निम्नलिखित वस्तुएं दान कर सकते हैं:
- वस्त्र दान
- अन्न दान
- गाय का दान (यदि संभव हो)
- घर के पास पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें
सर्वपितृ अमावस्या पर विशेष सावधानियां
- इस दिन प्याज, लहसुन और मांसाहार का सेवन न करें।
- किसी भी प्रकार का अपशब्द न बोलें और मन को शांत रखें।
- घर में कलह न होने दें, पितरों को शांति का वातावरण पसंद होता है।
- श्राद्ध का भोजन गाय, कुत्ते और कौए को अवश्य खिलाएं।
सर्वपितृ अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
हिंदू धर्म में मान्यता है कि पितृ हमारे रक्षक होते हैं। जब हम उनका श्राद्ध करते हैं, तो वे प्रसन्न होकर हमें आशीर्वाद देते हैं। सर्वपितृ अमावस्या पर किया गया श्राद्ध हमारे कुल के सभी पितरों को तृप्त करता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन पितरों को विदाई देते समय हमें यह प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमें सद्बुद्धि दें और परिवार की रक्षा करें।
महत्वपूर्ण मंत्र
सर्वपितृ अमावस्या पर निम्न मंत्र का जाप करना लाभदायक होता है:
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः”
“ॐ सर्वपितृभ्यो नमः”
