गुरुवार का महत्व
हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है। यह दिन ज्ञान, समृद्धि और ग्रह दोषों की शांति के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन विधिवत आरती करने से कुंडली में बृहस्पति की शुभता बढ़ती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
गुरुवार आरती का विधिवत तरीका
पूजा की तैयारी
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करके पीले रंग के कपड़े से सजाएँ।
- भगवान विष्णु की मूर्ति/तस्वीर के साथ बृहस्पति यंत्र स्थापित करें।
आरती सामग्री
- पीले फूल (गेंदा, सूरजमुखी)
- चने की दाल, हल्दी, केसर
- घी का दीपक और पीली मिठाई
गुरुवार आरती मंत्र (विष्णु-बृहस्पति संयुक्त)
नीचे दिए गए मंत्रों को श्रद्धा से उच्चारण करें:
आवाहन मंत्र
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः॥
गुरु ग्रहराजाय बुद्धिदात्रे नमो नमः॥”
मुख्य आरती
“जय जय श्री गुरुदेव, ज्ञान प्रकाशक॥
विष्णु रूप धरि करत, भक्तन हितकारक॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…”
कुंडली में बृहस्पति की शुभता बढ़ाने के उपाय
- गुरुवार को पीले वस्त्र दान करें।
- हल्दी की गांठ पर केसर से “ॐ गुरुवे नमः” लिखकर पूजा में रखें।
- केले के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं और गुड़-चना का प्रसाद बांटें।
विशेष लाभ
ग्रह दोष शांति
यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर है या गुरु की महादशा चल रही है, तो यह आरती विशेष फलदायी होती है।
शिक्षा और करियर
छात्रों को ज्ञान और स्मरण शक्ति प्राप्त होती है। नौकरीपेशा लोगों को प्रमोशन के अवसर मिलते हैं।
गुरुवार की आराधना का फल
गुरुवार की यह विशेष आरती न केवल आध्यात्मिक उन्नति देती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाने वाली है। नियमित रूप से इस आरती को करने से ग्रहों की अशुभ स्थिति स्वतः ही समाप्त हो जाती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
ध्यान रखें: आरती करते समय मन को पूर्णतः भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति में समर्पित कर दें। पूजा के बाद प्रसाद सभी परिवारजनों में बांटें और “ॐ नमो नारायणाय” का जाप करते रहें।
