Kumbh Sankranti 2025 कुंभ संक्रांति आज सूर्य चालीसा पाठ से बढ़ेगा मानसम्मान

कुंभ संक्रांति का महत्व

कुंभ संक्रांति हिंदू धर्म में एक विशेष खगोलीय घटना है जब सूर्य देव कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। यह पर्व माघ मास के अंतिम दिन मनाया जाता है और 2025 में यह 18 फरवरी को पड़ रहा है। इस दिन सूर्य चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा और आत्मबल में अद्भुत वृद्धि होती है।

कुंभ संक्रांति क्यों है विशेष?

खगोलीय महत्व

  • सूर्य का कुंभ राशि में प्रवेश
  • माघ मास का समापन एवं फाल्गुन मास का आगमन
  • वसंत ऋतु की पूर्वसूचना

धार्मिक महत्व

शास्त्रों के अनुसार इस दिन सूर्योपासना का विशेष फल मिलता है। स्कंद पुराण में वर्णित है:

“कुंभसंक्रमणे यस्तु सूर्यं संपूजयेन्नरः।
तस्य कीर्तिर्भवेत्स्थिरा धनधान्यसमन्विता॥”

सूर्य चालीसा पाठ के लाभ

इस दिन सूर्य चालीसा का पाठ करने से होने वाले प्रमुख लाभ:

  • कार्यक्षेत्र में प्रमोशन एवं सम्मान की प्राप्ति
  • सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि
  • शारीरिक ऊर्जा एवं आत्मविश्वास में वृद्धि
  • कुंडली के सूर्य दोष का निवारण

कैसे करें सूर्य चालीसा का पाठ?

सुबह की तैयारी

  • ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले) उठें
  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  • लाल या केसरी रंग का आसन बिछाएं

पूजा विधि

  1. तांबे के कलश में जल भरकर लाल फूल डालें
  2. सूर्यदेव को अर्घ्य देते हुए चालीसा का पाठ करें
  3. निम्न मंत्र का 11 बार जप करें:

    “ॐ घृणिं सूर्य्यः आदित्यः ॐ नमः”

कुंभ संक्रांति पर विशेष उपाय

इस दिन करने योग्य कुछ विशेष उपाय:

  • दान: गुड़, गेहूं या लाल वस्त्र का दान
  • व्रत: एक समय फलाहार करें
  • जप: “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” का 108 बार जप

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

सूर्य की किरणें इस समय विशेष ऊर्जा से युक्त होती हैं। सुबह के समय सूर्य को अर्घ्य देने से:

  • शरीर को विटामिन डी की प्राप्ति
  • आँखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक
  • मानसिक तनाव में कमी

पौराणिक कथा

स्कंद पुराण के अनुसार, राजा ययाति की पुत्री देवयानी ने कुंभ संक्रांति पर सूर्य आराधना कर अपने खोए हुए राज्य को पुनः प्राप्त किया था। इस दिन की साधना से असुरों पर देवताओं की विजय हुई थी।

आध्यात्मिक उन्नति का दिन

कुंभ संक्रांति 2025 में सूर्य चालीसा का पाठ कर आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। यह दिन आत्मोन्नति, सफलता और दिव्य ऊर्जा प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम है। सूर्यदेव की कृपा से जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा।

ध्यान दें: इस लेख में दिए गए मंत्रों का उच्चारण किसी योग्य ब्राह्मण या ज्ञानी से सीखकर ही करें।

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