एक दिव्य संयोग
हिंदू धर्म में अमावस्या और सोमवार दोनों का विशेष महत्व माना गया है। जब यह दोनों एक साथ आते हैं, तो यह संयोग भक्तों के लिए अद्भुत आध्यात्मिक अवसर प्रदान करता है। आज हम आपको इस विशेष सोमवार अमावस्या के रहस्यों, महत्व और पूजा विधि के बारे में विस्तार से बताएंगे।
सोमवार अमावस्या का धार्मिक महत्व
शिव और चंद्रमा का संबंध
सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है, जबकि अमावस्या चंद्रमा से जुड़ी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिवजी ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया था। इसलिए यह दिन शिव की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
पितृ दोष से मुक्ति
अमावस्या को पितृ तर्पण के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है। सोमवार के दिन किया गया तर्पण पितृ दोषों से मुक्ति दिलाने में विशेष सहायक होता है।
- पितरों को जल अर्पित करें
- तिल और कुशा का उपयोग करें
- गायत्री मंत्र का जाप करें
इस अमावस्या की विशेषता
इस बार की सोमवार अमावस्या और भी खास है क्योंकि:
- शनि अमावस्या भी है – शनि देव की कृपा प्राप्ति का अवसर
- सौर मंडल में विशेष योग बन रहा है
- वर्ष 2024 में यह संयोग केवल 3 बार आएगा
पूजा विधि और मंत्र
सुबह का संकल्प
प्रातःकाल स्नान कर निम्न मंत्र बोलें:
“ॐ नमः शिवाय, पितृदेव नमः”
शिव पूजन
- सफेद फूल और बिल्व पत्र अर्पित करें
- दूध और जल से अभिषेक करें
- रुद्राक्ष की माला से जाप करें
महामृत्युंजय मंत्र
इस दिन इस मंत्र का 108 बार जाप अत्यंत फलदायी है:
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
क्या करें और क्या न करें
करने योग्य कार्य
- दान-पुण्य में वृद्धि करें
- कुत्तों को भोजन कराएं
- पीपल के वृक्ष की पूजा करें
वर्जित कार्य
- मांस-मदिरा से दूर रहें
- किसी को भी दुःख न दें
- नकारात्मक विचारों से बचें
ज्योतिषीय प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन:
- कर्ज से मुक्ति के योग बनते हैं
- शनि और राहु का प्रभाव कम होता है
- नौकरी में प्रमोशन के अवसर मिल सकते हैं
उपसंहार: एक दिव्य अवसर
यह सोमवार अमावस्या हमें आध्यात्मिक उन्नति और भौतिक सुख दोनों प्रदान करने वाली है। भगवान शिव की कृपा पाने और पितृ ऋण से मुक्त होने का यह सुनहरा अवसर है। सही विधि से पूजन कर इस दिन का पूरा लाभ उठाएं।
शिव हम सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करें!
हर हर महादेव!
