Ram Mandir Pran Pratishtha Kashi Ke Dom Raja Samet Yajman List

एक ऐतिहासिक पल की प्रतीक्षा

अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का पावन अवसर न केवल भारत बल्कि समस्त विश्व के रामभक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 22 जनवरी 2024 को होने वाले इस यज्ञ में काशी के डोम राजा सहित अनेक विशिष्ट यजमानों की उपस्थिति इसके सर्वसमावेशी स्वरूप को प्रदर्शित करती है।

प्राण प्रतिष्ठा का आध्यात्मिक महत्व

मूर्ति में प्राणों का वास

प्राण प्रतिष्ठा वह पवित्र विधि है जिसके द्वारा देवमूर्ति में दैवीय शक्तियों का आह्वान किया जाता है। यह वैदिक मंत्रों एवं शास्त्रोक्त विधियों से संपन्न होने वाला एक जटिल अनुष्ठान है।

  • मुहूर्त: अभिजित नक्षत्र में शुभकाल
  • मंत्रोच्चारण: “ॐ आवाहयामि देवदेवं सर्वलोकैकनायकम्”
  • प्रमुख ऋत्विज: वैदिक विद्वानों की चयनित टीम

यजमानों की विशेष सूची

इस ऐतिहासिक अवसर पर विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों को यजमान के रूप में आमंत्रित किया गया है:

  • काशी के डोम राजा: महंत दिनेश्वर दास
  • आदिवासी समाज: 50 प्रतिनिधि
  • वैष्णव अखाड़े: 108 संन्यासी
  • श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट: सभी सदस्य
  • रामायणी परंपरा: 21 कथावाचक

सामाजिक समरसता का प्रतीक

यजमानों की यह सूची भगवान राम के सर्वजन हिताय के संदेश को चरितार्थ करती है। डोम समाज सहित सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व इस आयोजन को वास्तविक अर्थों में राष्ट्रीय एकता का उत्सव बनाता है।

प्राण प्रतिष्ठा समारोह की विशेषताएं

  • वैदिक अनुष्ठान: 7 दिवसीय पूर्वानुष्ठान
  • यज्ञशाला: 1008 कुंडों वाला महायज्ञ
  • प्रसाद वितरण: 5 लाख भक्तों के लिए व्यवस्था
  • सुरक्षा व्यवस्था: तीन स्तरीय प्रबंधन

अयोध्या की तैयारियाँ

पूरी अयोध्या नगरी दीपों की माला से सजी होगी। मंदिर परिसर में विशेष फूलों की व्यवस्था के साथ-साथ वातावरण को पवित्र बनाने के लिए गंगाजल का छिड़काव किया जाएगा।

निष्कर्ष: सनातन की नवजागृति

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता के पुनरुत्थान का प्रतीक है। जब काशी के डोम राजा से लेकर हिमालय के साधु तक एक साथ इस पुण्य कार्य में सम्मिलित होंगे, तो यह वास्तव में रामराज्य के आगमन का संकेत होगा।

सभी भक्तजन इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए अयोध्या धाम पधारें या अपने-अपने स्थानों पर राम नाम का जप कर इस पावन अवसर में आत्मिक रूप से जुड़ें।

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