दिव्य दृष्टि का उपहार
सनातन धर्म केवल एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। यह हमें सिखाता है कि कैसे हर वस्तु, हर प्राणी और हर क्षण में परमात्मा के दर्शन किए जाएँ। जब हम यह दिव्य दृष्टि प्राप्त कर लेते हैं, तो संसार की हर चीज़ हमें भगवान की ओर ले जाने वाली सीढ़ी बन जाती है।
सनातन दर्शन: सर्वत्र ईश्वर की अनुभूति
वेदों और उपनिषदों की शिक्षा
ऋग्वेद का यह महान मंत्र हमें सिखाता है:
“एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति”
(एक सत्य को ज्ञानी लोग अनेक नामों से पुकारते हैं)
- ईशावास्योपनिषद् कहता है – “ईशा वास्यमिदं सर्वं” (यह सारा जगत ईश्वर से व्याप्त है)
- भगवद्गीता (10.20) में श्रीकृष्ण कहते हैं – “अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः” (हे अर्जुन! मैं सभी प्राणियों के हृदय में स्थित आत्मा हूँ)
दैनिक जीवन में दिव्य दृष्टि
सनातन परंपरा हमें सिखाती है:
- भोजन करते समय अन्न में अन्नपूर्णा का दर्शन
- नदी में जल के रूप में गंगा मैया की कल्पना
- गुरु के रूप में साक्षात परमात्मा की पूजा
व्यक्ति में परमात्मा: नारायण सेवा का दर्शन
अतिथि देवो भव
हमारी संस्कृति कहती है – “अतिथि देवो भव”। हर अतिथि में भगवान का स्वरूप देखने की यह शिक्षा हमें सेवा और सम्मान का पाठ पढ़ाती है।
माता-पिता में देवत्व
- माता – लक्ष्मी का स्वरूप
- पिता – विष्णु के समान
- गुरु – ब्रह्मा स्वरूप
वस्तुओं में दिव्यता: भौतिक से आध्यात्मिक की यात्रा
पंचभूतों की पूजा
सनातन धर्म प्रकृति के पाँच तत्वों को पवित्र मानता है:
- पृथ्वी – धरती माता के रूप में पूजा
- जल – गंगा, यमुना जैसी नदियों का देवी रूप
- अग्नि – यज्ञ में देवताओं का मुख
- वायु – प्राण वायु के रूप में जीवनदाता
- आकाश – अनंत ब्रह्माण्ड का प्रतीक
तुलसी, पीपल और गाय की महिमा
हमारी संस्कृति में पेड़-पौधों और पशुओं में भी देवत्व का दर्शन किया गया है:
- तुलसी – विष्णु प्रिया के रूप में पूजा
- पीपल – वृक्षराज के रूप में सम्मान
- गाय – गौमाता के रूप में आदर
आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
आधुनिक विज्ञान भी अब मानता है कि:
- सभी पदार्थ ऊर्जा के विभिन्न रूप हैं
- समस्त ब्रह्माण्ड एक ही मूल तत्व से निर्मित है
- मानव शरीर में ब्रह्माण्ड के सभी तत्व विद्यमान हैं
पर्यावरण संरक्षण
सनातन धर्म का यह दर्शन आज पर्यावरण संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है:
- प्रकृति में देवत्व देखने से स्वतः संरक्षण की भावना जागृत होती है
- वस्तुओं का सम्मान हमें फेंकने की संस्कृति से बचाता है
- जीव-जंतुओं के प्रति करुणा पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखती है
एकात्मता का संदेश
सनातन धर्म का यह सर्वत्र ईश्वर दर्शन का दर्शन हमें सिखाता है कि संसार में कुछ भी अलग या तुच्छ नहीं है। जब हम यह समझ लेते हैं, तो हमारा हर कर्म पूजा बन जाता है, हर दृष्टि दर्शन बन जाती है, और हर क्षण मोक्ष की ओर एक कदम बन जाता है।
आइए, हम इस पावन दृष्टि को अपनाएँ और हर वस्तु, हर प्राणी में उस परम सत्ता के दर्शन करें जो इस समस्त ब्रह्माण्ड का आधार है।
